Saturday, May 24, 2014

मीडिया है एक तिलस्म

मीडिया है एक तिलस्म
मुश्किल है इसे पार पाना
मुश्किल है इसे भेद पाना
भेदा तो पछतावोगे
मन मषौट कर रह जाओगे
अगर धोखे से इसे भेद दिया
तो फिर तिलस्म में खो जाओगे
मीडिया है एक तिलस्म

इस तिलस्म की दुनिया है निराली
कही आग, कही पानी
कही सवेरा, कही अंधेरा
कोई अपना, कोई बेगाना
तिलस्म का अपना अफसाना
इन अफसानों में कई फसाना
इन फसानों में उलझते जाना
तिलस्म में कहीं खो सा जाना
चाह कर भी निकल नहीं पाना
मीडिया है एक तिलस्म

उसके होने का एहसास

उसके होने का एहसास 
आज भी है 
बीते पलों की याद 
आज भी है
कई सपनों के टूटने का मर्म 
आज भी है
जो हो न सका उसके छूटने का गम
आज भी है

बंदिशों में जकड़कर पीछे हटने का दर्द
आज भी है
हसीन लम्हों के छूटने का दर्द
आज भी है
वक्त न थमने की कसक
आज भी है
तन्हाई में उसकी यादों का साथ
आज भी है

जिंदगी के खुशनुमा पल का एहसास
आज भी है
भीनी - भीनी खुशबू की महक
आज भी है
ख्वाहिशों की बारिशों में संग भीगने की यादें
आज भी है
आंधियों से लड़कर जीने का सबब
आज भी है