Sunday, November 11, 2012

कुछ अधूरी ख्वाबों का सिलसिला है जिंदगी

कुछ अधूरी ख्वाबों का सिलसिला है जिंदगी
उन ख्वाबों को हर हाल में पा लेना है जिंदगी
इस उधेड़बुन में छूटता जाता है जिंदगी
जी लो जी भर के इस जिंदगी को
क्योंकि अनमोल है ये जिंदगी

Monday, February 6, 2012

जिंदगी की अजीब उलझन

जिंदगी के रास्ते में 
अजब सी एक उलझन है
क्या करूँ क्या न करूँ
इसके बीच में गजब की द्वंद है

जिंदगी के इस मोंड़ पर
मेरा मन बैचेन क्यों है
भविष्य की अधर में लटका मेरा मन है
जाने मेरे दिल को किसकी तलाश है
तलाश है या फिर कोई अजीब सी कशिश है

जिंदगी की अजीब ये उलझन है
किस और जाऊं ये खुद को नहीं पता
एक ऐसी जगह आ खड़ा हूँ
जहां पल छिन दिल में भटकाव है

जिंदगी की इस उलझन में
उमरते-घुमरते द्वंदों में
कुछ अलग करने की चाहत है
बस कुछ कर जाने का जुनून है

Friday, February 3, 2012

जिंदगी की रवानगी

जिंदगी की रवानगी में
जीवन की सांझ में
दुखों के साए को भूलता चला आया
मैं इतनी दूर निकल आया
कि मेरे पीछे कुछ छूट जाने
का एहसास तक नहीं रहा

जिंदगी की रवानगी में
मैं इतनी दूर निकल आया.
मुड़ना जो चाहा मैंने.
कहीं न मैं ठहर पाया.
वक़्त फिसला कुछ ऐसे.
रेत हाथो में समेटा हो.
खूबसूरत कोई सपना जैसे.
अभी अभी आँखों से लुटा हो.


जिंदगी की रवानगी में
मैं काफी दूर निकल आया
अब तो बस यादें हैं
झिलमिलाती सी उन पलों को
अब समेट लेने की चाह लिए
काफी दूर चला आया.