Wednesday, February 27, 2013

नए ताजे की धून में खोती जा रही जिंदगी


 
नए ताजे की धून में  
खोती जा रही जिंदगी
न तस्‍ब्‍बुर है न चैन है
ये मेरी जिंदगानी है
बस एक रवानगी है
आंधियों का है सफर
जिसमें हम सराबोर हैं

नए ताजे की धुन में
घुटती जा रही जिंदगी
सोचा मैंने क्या पा लिया
क्या मैंने खो दिया
न पाकर चैन न खोकर चैन
बस एक रैन है
अंजान है सफर
जिसमें हम तल्लीन हैं

नए ताजे की धून में
डूबती जा रही जिंदगी
हर कसौटी पर सोच कर
अपने आपको जांच कर
जिंदगी का कैसा सपनीला सफर
जिस पर निकल हैं पड़े
बस यही सोचकर
यही है हमारी जिंदगी

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